आसाराम को कोर्ट से राहत नहीं, अस्पताल में भर्ती
आसाराम को फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।उनकी तबियत बिगड़ने के बाद अस्पताल ले जाया गया है।

यौन उत्पीड़न के मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। उनकी अंतरिम जमानत बढ़ाने को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई, लेकिन मामला अधूरा रह गया। अब अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी।
इधर, बीते मंगलवार को अंतरिम जमानत अवधि खत्म होने के बाद दोपहर में आसाराम ने जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर किया था। वहां करीब 10 घंटे रुकने के बाद उन्हें रात 11:30 बजे पाली रोड स्थित निजी हॉस्पिटल--आरोग्यम में शिफ्ट किया गया। बताया जा रहा है कि आसाराम की तबियत बिगड़ने के बाद अस्पताल ले जाया गया है।
हाईकोर्ट ने आसाराम और पीड़िता, दोनों से एफिडेविट मांगा है। पीड़िता के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि आसाराम ने पहले भी अदालत की शर्तों का उल्लंघन किया है, इसलिए उसकी अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाना सही नहीं होगा। कोर्ट ने आसाराम के वकील से पूछा कि क्या उन्होंने प्रवचन देकर सुप्रीम कोर्ट की शर्तों का उल्लंघन किया है? इस पर कोर्ट ने शपथ पत्र (अफिडेविट) देने के निर्देश दिए। जस्टिस दिनेश मेहता और विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी 2025 को आसाराम को अंतरिम जमानत दी थी, जिसे जोधपुर हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2025 तक के लिए बढ़ा दिया था। अब जब यह अवधि समाप्त हो गई है, तो उनकी ओर से इसे और आगे बढ़ाने के लिए याचिका दाखिल की गई है।
इससे पहले, गुजरात हाईकोर्ट ने सूरत रेप केस में आसाराम को तीन महीने की अंतरिम जमानत दी थी। हालांकि, जब तक राजस्थान हाईकोर्ट से भी उसे राहत नहीं मिलती, तब तक वह जेल से बाहर नहीं आ सकेगा।
आसाराम पर दो गंभीर यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज हैं, जिनमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। पहला मामला जोधपुर का है, जहां 2013 में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। दूसरा मामला गुजरात का है, जहां सूरत की एक महिला ने उन पर गांधीनगर आश्रम में बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था। जनवरी 2023 में इस मामले में भी उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।