एशिया व अफ्रीका से ही फैलतीं ज्यादातर संक्रामक बीमारियां
संक्रामक बीमारियां अक्सर अफ्रीकी या एशियाई देशों से हीं दस्तक देती हैं। मंकीपॉक्स के अलावा, कोरोना वायरस, जीका और इबोला जैसी बीमारियां सबसे पहले अफ्रीका या एशिया में दिखीं।
संक्रामक बीमारियां अक्सर अफ्रीकी या एशियाई देशों से हीं दस्तक देती हैं। मंकीपॉक्स के अलावा, कोरोना वायरस, जीका और इबोला जैसी बीमारियां सबसे पहले अफ्रीका या एशिया में दिखीं। हाल ही में दिखी एमपॉक्स भी एक वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है। एमपॉक्स वायरस बंदरों में फैलने वाला एक संक्रमण है, जो एशिया और अफ्रीका में ही सामने आया है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के डिसीज आउटब्रेक न्यूज के अनुसार ग्लोबल स्तर पर डराने वाली बीमारियों में से अधिकतर का स्रोत या तो अफ्रीका है या एशिया।
जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियां अफ्रीका में ज्यादा दिखती हैं। साल 2012 के बाद 10 सालों के भीतर इसमें 63 प्रतिशत वृद्धि हुई। इन्हीं 10 सालों में अफ्रीका में 18 सौ से ज्यादा ऐसी बीमारियां आईं जो संक्रामक थीं, या जिन्हें नया कहा जाए। जैसे एंथ्रेक्स, एविएन इंफ्लूएंजा, कॉलेरा, क्रीमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर, डेंगू, हेपेटाइटिस बी, सी और ई, मंकीपॉक्स, प्लेग, रिफ्ट वैली फीवर, यलो फीवर और जीका वायरस आदि। इनमें 70% बीमारियां इबोला और दूसरे वायरल हेमोरेजिक फीवर वाली थीं, जबकि डेंगू, एंथ्रेक्स, प्लेग और मंकीपॉक्स समेत बाकी बीमारियां 30% रहीं।
एशिया में भी खासकर चीन से कई बीमारियां फैसी हैं। जैसे कोरोना, इसकी शुरुआत चीन के वुहान प्रांत से हुई। इससे पहले भी कई संक्रामक बीमारियां, जैसे ब्लैक डेथ और एशियन फ्लू का सोर्स यही देश बना। सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम), जिसमें मृत्युदर काफी ज्यादा है, ये भी दक्षिण चीन में पहली बार दिखा।
अफ्रीकी देशों और एशिया में चीन से संक्रामक बीमारियां फैलने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहला कारण है, यहां की आबादी। वर्ल्ड बैंक के अनुसार केवल एशिया और पैसिफिक में ही दुनिया की 60 फीसदी आबादी रहती है। अब यहां माइग्रेशन भी हो रहा है। नए आ रहे लोगों को बसाने के लिए जंगल काटे रहे हैं। इस प्रक्रिया में लोग जंगली जानवरों के सीधे संपर्क में आते हैं। इन जानवरों में हजारों ऐसे वायरस होते हैं, जो इंसानों पर हमला कर सकते हैं।
एशिया और अफ्रीकी दोशों में लाइव एनिमल मार्केट सजते हैं। जैसे चीन को ही लें तो यहां वुहान वेट मार्केट काफी चर्चा में रहा है। यहां एग्जॉटिक फूड के नाम पर जंगली पशु, जैसे चमगादड़ और सांप तक मिल जाएंगे। इस मांस बाजार में जगह की कमी के चलते कई तरह की स्पीशीज पास-पास रख दी जाती हैं। इससे भी घातक वायरस एक से दूसरे में फैलते हैं।
अफ्रीका के कई इलाकों में खाने के लिए जंगली पशुओं के सीधे शिकार का भी चलन है। खासकर सब-सहारन अफ्रीका में लोग जंगलों में जाते और शिकार के बाद उसे पकाने में पशुओं के सीधे संपर्क में आते हैं। यह जूनोटिक बीमारियों की बड़ी वजह मानी जाती रही।
कई और कारण भी इसके पीछे गिनाए जा रहे हैं। मसलन, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से कई बीमारियां फैल रही हैं, जैसे मच्छरों से जुड़ी संक्रामक बीमारियां। साथ ही अफ्रीका में चूंकि हेल्थकेयर उतना विकसित नहीं, ऐसे में वक्त रहते बीमारी पकड़ में नहीं आ पाती।