डिप्टी सीएम ने बेटे की गलती पर डाला परदा, घिरे

राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा आज अपने बेटे का बचाव करने के चक्कर में खुद घिर गए।  उनकी प्रतिक्रिया में बेटे की गलतियों को जायज ठहराने की पूरी कोशिश की गई।

डिप्टी सीएम ने बेटे की गलती पर डाला परदा, घिरे

राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा आज अपने बेटे का बचाव करने के चक्कर में खुद घिर गए।  बेटे का गाड़ी चलाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर उन्होंने मीडिया से जो भी कहा, वही उन्हें मुसीबत में डाल सकता है। उनकी प्रतिक्रिया में बेटे की गलतियों को जायज ठहराने की पूरी कोशिश की गई।

बैरवा ने कहा, बच्चों का गाड़ी में बैठकर घमना गलत बात नहीं है वीडियो में मेरा बेटा नजर आ रहा है इसमें कुछ गलत नहीं है ये मेरा सौभाग्य है कि पीएम मोदी ने मुझ जैसे को उपमुख्यमंत्री बनाया है इससे मेरे बेटे को महंगी गाड़ियों में बैठने का मौका मिल रहा है उसने भी अच्छी गाड़ी को देखा है मेरा बेटा सीनियर स्कूल में पढ़ता है वो अपने स्कूल के दोस्तों के साथ गया था मेरा बेटा तो अभी तक 18 साल का भी नहीं हुआ है

उपमुख्यमंत्री की यह स्वीकारोत्ति ही उनके साथ-साथ बेटे को भी मुसीबत में डालने वाली है। क्योंकि नाबालिग का कार चलाना कानूनन अपराध है। वायरल वीडियो में बेटा जीप ड्राइव करते हुए दिखाई दे रहा है। डीटीओ सुनील सोनी के अनुसार 18 साल से कम आयु का बच्चा चार पहिया नहीं चला सकता है। यदि वह ऐसा करते पकड़ा जाता है तो वाहन मालिक के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।

बैरवा ने यह भी कहा कि बेटे को कोई गाड़ी एस्कॉर्ट नहीं कर रही थी, बल्कि वो गाड़ी सुरक्षा में पीछे-पीछे चल रही थी इसे अगर कोई बेवजह तूल देता है तो उसकी मर्जी है। सवाल यह उठता है कि किसी वीआईपी के वाहन के आगे-पीछे चलने वाली एस्कॉर्ट गाड़ियां किस लिए होती हैं? क्या उनका काम वीआईपी की सुरक्षा करना नहीं होता है?

वायरल वीडियो में प्रेमचंद बैरवा के पुत्र एक लग्जरी गाड़ी में अपने दोस्तों संग बैठे हुए नजर आ रहे हैं यह वीडियो जयपुर के आमेर इलाके का बताया जा रहा है सोशल मीडिया पर लोग मंत्री पुत्र को मिलने वाली एस्कॉर्ट और यातायात नियमों की अवहेलना को लेकर सवाल उठा रहे हैं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि आखिर मंत्री को मिलने वाली एस्कॉर्ट का उपयोग मंत्री पुत्र किस आधार पर कर रहा है? परिवार को केवल विशेष परिस्थितियों में या किसी भी तरह की इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर ही सुरक्षा दी जाती है आखिर किसके कहने पर जयपुर पुलिस की गाड़ी मंत्री पुत्र की गाड़ी को एस्कॉर्ट कर रही है?

सवाल यातायात नियमों का भी है, क्योंकि बिना सीट बेल्ट वाहन चलाना भी कानूनी रूप से गलत है यातायात नियमों के तहत वर्ष 1995 के बाद के सभी वाहनों पर सीट बेल्ट अनिवार्य है इसके अलावा बिना परिवहन विभाग की अनुमति के गाड़ी की बॉडी को मॉडिफाई करना भी नियमों के खिलाफ है एचएसआरपी नंबर प्लेट के बिना वाहन चलाना भी नियम विरुद्ध है हालांकि इन सवालों पर मंत्री प्रेमचंद बैरवा कर कहना है कि यातायात नियमों की किसी भी तरह से अवहेलना नहीं की गई है