साध्वी बनने प्रेमानंद महाराज के दरबार पहुंची गुजराती एक्ट्रेस
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में गुजराती सिनेमा की एक्ट्रेस खुशी शाह अपने जीवन के कष्ट और मानसिक दुविधा को लेकर पहुंची।

वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में गुजराती सिनेमा की एक्ट्रेस खुशी शाह अपने जीवन के कष्ट और मानसिक दुविधा को लेकर पहुंची। एक्ट्रेस ने बताया कि कैसे अनाथ होने की वजह से शुरुआती जीवन अनाथालय में गुजरा और आज कई धोखे खाने के बाद वो एक्ट्रेस बन गई है।
खुशी शाह ने बताया, बचपन में ही माता-पिता चले गए, अपनों ने ही अनाथालय में छोड़ दिया, खुद को संभाला, इस बीच किसी से अपनापन हुआ और उसने भी धोखा दे दिया। अब इतना टूट गई हूं कि क्या बतायूं। अभिनय की दुनिया से हूं, बाहर से तो दिखाती हूं बहुत स्ट्रॉंग हूं, पर अंदर से टूट चुकी हूं। ऐसी स्थिति में कैसे खुद को संभालें..? ये सुनते ही प्रेमानंद महाराज ने कहा, बच्चा संसार का तो स्वरूप ही यही है। हम जानते हैं कि ये सब धोखे का संसार है।
प्रेमानंद महाराज आगे कहते हैं, अभी तक जो हुआ उसे भूल जाओ और अब एक रास्ता भगवान से मांगो कि आप मेरे स्वामी हो, आप मेरे इश्वर हो, आप मुझे रास्ता दीजिए। वो जब हाथ पकड़ेंगे तो बहुत बढ़िया संसार सजा देंगे, बहुत बढ़िया मित्र बना देंगे। उनके लिए कुछ कठिन नहीं है। हमें तो यही बात आती है। तुम दूसरों आगे घुटने टेकने के बजाए उनसे घुटने टिकवाओ। इतना तप करो, इतने नियम में रहो कि दूसरा तुम्हारे आगे झुकें।
एक्ट्रेस खुशी शाह आगे कहती है, मैं लक्ष्मी मां की बहुत बड़ी भक्त हूं। ये सुनते ही प्रेमानंद महाराज कहते हैं, नारायण के बिना लक्ष्मी जी अधूरी हैं। ये भी ध्यान रखो। लक्ष्मी ही जब अकेले आएंगी तो पर्सनल वाहन पर आएंगी और अपने प्रीतम के साथ आएंगी तो गरुण पर बैठकर आएंगी। गरुण, वेद मूर्ती भगवान हैं. तो हमें लगता है कि नारायण के साथ रहेंगी तो बढ़िया है, नहीं तो उल्लू बनाकर चली जाएंगी। ये सुनकर वह कहती हैं, लक्ष्मी-नारायण की ही भक्त हूं और उनकी कृपा से मेरे पास सबकुछ है. बस प्यार की भूखी हूं मैं।
ये सुनकर प्रेमानंद महाराज कहते हैं, हम भी अभिनय कर रहे हैं पर हमें आनंद रहता है। आपको तनाव इसलिए रहता है क्योंकि आप संसार से कुछ चाहती हैं और हमें मानसिक आनंद रहता है क्योंकि हम संसार को कुछ देना चाहते हैं। बस अंतर यही है। उन्होंने सलाह दी कि आप भगवान से जुड़ो तो आपको किसी से अपेक्षा नहीं रहेगी। जब एक्ट्रेस ने कहा, मैं सोच रही हूं साध्वी बन जाउूं. तो संत प्रेमानंद ने कहा कि ये सब करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ये आसान नहीं है। चाहो तो अंदर से साध्वी बन जाओ।