केरल में निपाह वायरस से किशोर की मौत
केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस के खतरे ने दस्तक दे दी है। राज्य के मलप्पुरम के 14 वर्षीय एक लड़के की निपाह वायरस से रविवार को मौत हो गई।
केरल में एक बार फिर से निपाह वायरस के खतरे ने दस्तक दे दी है। राज्य के मलप्पुरम के 14 वर्षीय एक लड़के की निपाह वायरस से रविवार को मौत हो गई। पांडिक्कड़ निवासी लड़के को रविवार सुबह 10.50 बजे दिल का दौरा पड़ा और उसे बचाया नहीं जा सका। एनआईवी पुणे की तरफ से उसे निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि की गई थी।
राज्य में इस साल निपाह से पहली मौत के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। केंद्र सरकार ने इस मौत के बाद राज्य सरकार से इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जरूरी उपाय करने की बात कही है। स्थिति का जायजा लेने के लिए विशेषज्ञों की केंद्रीय टीम राज्य में भेजी जाएगी। इससे राज्य सरकार को संक्रमण से निपटने में भी मदद मिलेगी।
केरल में पिछले साल भी निपाह वायरस के संक्रमण से मौत दर्ज की गई थी। तब निपाह वायरस का प्रकोप कोझिकोड जिले में था। वायनाड के इस पड़ोसी जिले में वायरस से छह लोग संक्रमित हुए थे, जिनमें से दो की मौत हो गई। साल 2018, 2021 और 2023 में कोझिकोड जिले में और 2019 में एर्नाकुलम जिले में निपाह संक्रमण फैलने के मामले दर्ज किए गए थे। कोझिकोड, वायनाड, इडुक्की, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों के चमगादड़ों में निपाह वायरस की एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता चला था।
निपाह वायरस मुख्य रूप से फल खाने वाले चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलता है। संक्रमित चमगादड़ों, उनकी लार या दूषित भोजन के संपर्क में आने से वायरस फैल सकता है। मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण भी देखा गया है। खास तौर पर श्वसन बूंदों और शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से।
प्रारंभिक लक्षणों में अक्सर बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल होता है। संक्रमण के बाद इसकी अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, इसके लक्षण एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), दौरे और भ्रम तक बढ़ सकते हैं। खांसी और गले में खराश जैसी सांस से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। गंभीर मामलों में वायरस से कोमा और मृत्यु हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फ्रूट बैट और सूअरों के साथ संपर्क को कम करने की सिफारिश की है। खासकर प्रकोप वाले क्षेत्रों में। संगठन के बचाव उपायों के तहत सुनिश्चित करें कि भोजन अच्छी तरह से पकाया गया हो। इसके अलावा कच्चे या आधे पके हुए फलों का सेवन करने से बचें। अच्छी हाइजीन प्रैक्टिस जैसे बार-बार हाथ धोना और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना, वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक हैं। मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज निपाह वायरस संक्रमण के लिए एकमात्र उपलब्ध उपचार है। हालांकि अभी तक मेडिकल रूप से इसकी पुष्टि नहीं हुई है।