गैर आरएएस अधिकारी भी बनेंगे आईएएस, आरएएस संघ पर जुर्माना
राजस्थान हाईकोर्ट ने आज गैर आरएएस अधिकारियों का आईएएस में प्रमोशन का रास्ता साफ कर दिया। इस मसले को तीन साल तक अटकाने वाले आरएएस एसोसिएशन की याचिका कोर्ट ने 5 लाख रुपए के जुर्माने के साथ खारिज कर दी।
राजस्थान हाईकोर्ट ने आज गैर आरएएस अधिकारियों का आईएएस में प्रमोशन का रास्ता साफ कर दिया। इस मसले को तीन साल तक अटकाने वाले आरएएस एसोसिएशन की याचिका कोर्ट ने 5 लाख रुपए के जुर्माने के साथ खारिज कर दी। यह जुर्माना कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए लगाया गया है।
न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश शुभा मेहता की खंडपीठ ने आज आरएएस एसोसिएशन की उस याचिका को खारिज किया है, जिससे गैर आरएएस सर्विस से आईएएस में प्रमोशन पर रोक लगी थी। कोर्ट ने इस याचिका को व्यक्तिगत हितों के लिए बताया और कहा कि कोर्ट का समय भी बर्बाद किया गया। ऐसे में एसोसिएशन पर 5 लाख का जुर्माना लगाया जाता है।
सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा- सरकार नियमों के तहत ही नॉन आरएएस से आईएएस में प्रमोशन कर रही थी। नियमों में साफ है कि सरकार प्रमोशन के 15 प्रतिशत पदों पर नॉन आरएएस अधिकारियों का आईएएस में प्रमोशन कर सकती है। शेष पदों पर आरएएस अधिकारियों को ही आईएएस में पदोन्नत किया जा रहा है। शाह ने कहा, आरएएस एसोसिएशन की ओर से लगाई याचिका से लगता है कि यह केवल निजी स्वार्थ के चलते लगाई गई है। केवल इस आशंका से कि इन्हें प्रमोशन के अवसर कम मिलेंगे। केवल इस आधार पर यह याचिका लगाई गई।
राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद (आरपीएससी) की ओर से पेश हुए वकील तनवीर अहमद ने तर्क दिया कि राज्य सरकार केवल विशेष परिस्थितियों में अन्य सेवाओं के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत कर सकती है। उसमें भी स्टेट सिविल सर्विसेज के 33.33 प्रतिशत कोटे का 15 प्रतिशत अन्य सेवाओं से ले सकती है। सरकार तो हर साल, पर्याप्त आरएएस ऑफिसर होने के बावजूद, अन्य सेवाओं से आईएएस में पदोन्नति के लिए यूपीएससी को सिफारिश भेज रही है।
तनवीर ने यह भी दलील दी कि द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (रिक्रूटमेंट) नियम 1954 के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह नॉन सिविल सर्विसेज के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत करने की सिफारिश यूपीएससी को भेज सकती है। मगर इसके लिए जरूरी है कि राज्य में विशेष परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हों। इसके अलावा, जिस अधिकारी का इस पद के लिए चयन किया जा रहा है, उस में कोई ऐसी विशेष योग्यता हो, जो मौजूदा सिविल सर्विसेज के किसी भी अधिकारी में नहीं हो। केवल उसी सूरत में नॉन सिविल सर्विसेज के अधिकारी को आईएएस में पदोन्नत किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने ये दलीलें नहीं मानी औऱ आरएएस एसोसिएशन की याचिका जुर्माना समेत खारिज कर दी।