रिश्ता

Delve into 'Poem on Relationship' on Pressvani, a profound exploration of the complexities and beauty of relationships. This piece captures the essence of human connections through exquisite verse, offering readers a reflective and emotive journey through poetry.

रिश्ता
Poem on Relationship

इश्क से जैसे हो वावस्ता वफा का रिश्ता

गुल से गुलशन का है खुशबू से हवा का रिश्ता

     माँ तो माँ ही है, न उसका कोई सानी लेकिन

     सबसे * मानूस है बच्चों से पिता का रिश्ता

खत्म हो जाती है थोड़ा सा भड़कते ही हयात

कितना नाजुक है हवाओं से दिया का रिश्ता

     एक वो वक्त था जब दिल से जुड़े थे दोनो

     दरमियां अपने फक़त अब है * अना का रिश्ता

जिस्म की सारी रिदा हो गयी फैशन की नज़र

अब भी बाकी है निगाहों से हया का रिश्ता

     वास्ता कुछ भी नहीं फिर भी जुड़े हैं दोनों

     है जुदा सबसे यहां जीस्त कज़ा का रिश्ता

इसके खुलते ही बदल जाता है मौसम दिल का

कुछ तो होगा तेरी जुल्फों से घटा का रिश्ता ।