समलेटी बमकांड की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट में समलेटी बम धमाका मामले की सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला 39 साल पुराना है।

समलेटी बमकांड की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट में समलेटी बम धमाका मामले की सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला 39 साल पुराना है। 22 मई 1996 को राजस्थान के समलेटी गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-11 पर एक बस में बम विस्फोट हुआ था। इस धमाके में 14 लोगों की मौत हो गई थी और 37 लोग घायल हो गए थे। पिछले एक महीने से सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ में इस मामाले की सुनवाई हो रही थी।

राजस्थान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट राजा ठाकरे और राजस्थान सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिव मंगल शर्मा ने पैरवी की। ठाकरे को हाल ही में भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया है। उन्होंने अदालत में राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए निचली अदालत के अभियुक्तों को दोषी ठहराने के फैसले को बरकरार रखने की अपील की। वहीं आरोपियों की ओर से सीनियर एडवोकेट कामिनी जायसवाल ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों को चुनौती देते हुए न्यायिक प्रक्रिया में खामियों की ओर ध्यान दिलाया। 

22 मई 1996 को राजस्थान रोडवेज की एक बस आगरा से बीकानेर जा रही थी। दौसा जिले में महवा से निकलने के कुछ ही समय बाद समलेटी गांव के पास इसमें धमाका हुआ था। इस मामले में 12 सितंबर 1996 को आरोप पत्र दायर किया गया, जिसमें जावेद खान, डॉ. अब्दुल हमीद, रियाज अहमद शेख और चंद्र प्रकाश अग्रवाल सहित अन्य लोगों को अभियुक्त बनाया गया। एक निचली अदालत ने 15 जुलाई 2002 को डॉ. अब्दुल हमीद को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। अन्य आरोपियों को आजीवन कारावास और भारी जुर्माने की सजा सुनाई गई। वहीं कुछ आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया।

निचली अदालत के फैसले के 17 साल बाद, 22 जुलाई 2019 को राजस्थान हाईकोर्ट ने डॉ. अब्दुल हमीद की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इसके बाद राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और आरोपियों को सुनाई गई निचली अदालत की सज़ा को बरकरार रखने की मांग की। वहीं, डॉ. अब्दुल हमीद और अन्य दोषियों ने भी अपनी सजा को चुनौती दी थी।