शीर्ष कोर्ट में झगड़े वकील, दी सुसाइड की धमकी
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अजब स्थिति पैदा हो गई, जब दो वकीलों के झगड़े में एक ने खुदकुशी की धमकी दे डाली। जस्टिस ओका ने पहले तो हैरानी जताई, फिर सख्त रुख अपनाते हुए वकील को चेतावनी दी।

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अजब स्थिति पैदा हो गई, जब दो वकीलों के झगड़े में एक ने खुदकुशी की धमकी दे डाली। जस्टिस अभय एस ओका की पीठ के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए वकील ने अपनी दलीलें रखते हुए यह धमकी दी। जस्टिस ओका ने पहले तो हैरानी जताई, फिर सख्त रुख अपनाते हुए वकील को चेतावनी दी। उन्होंने कहा, अगर आप कोर्ट को धमकाते हैं तो हम आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देंगे। हम बार के मेंबर की ओर से इस तरह का आचरण बर्दाश्त नहीं करेंगे।
यह मामला दो वकीलों के बीच विवाद से जुड़ा था। दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता वकील ने दलील पेश करते हुए अचानक आत्महत्या करने की बात कह दी।
जस्टिस ओका ने वकील से पूछा कि जब कोर्ट, बार काउंसिल और बार एसोसिएशन ने माफी मांग ली है, तो वह ऐसा क्यों कर रहे हैं? इसके जवाब में याचिकाकर्ता वकील ने फिर कहा, मैं आत्महत्या कर लूंगा, मीलॉर्ड! जस्टिस ओका ने दोबारा पूछा कि वह ऐसा क्यों कह रहे हैं, जबकि कोर्ट उनके पक्ष में फैसला सुनाने जा रहा है। आपकी की मांग क्या है? आप चाहते क्या हैं?
वकील ने कहा कि मामला रद्द किया जाए। यह सुनकर जस्टिस ओका नाराज हो गए। उन्होंने पूछा, तो आप धमकी दे रहे हैं कि अगर हम दोनों शिकायतें रद्द कर देंगे तो आप आत्महत्या कर लेंगे? इस बीच दूसरे पक्ष के वकील ने बताया कि उन्हें पहले दिन से ही इस तरह के अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।
जस्टिस ओका ने याचिकाकर्ता वकील से कहा, हम आपको साफ चेतावनी दे रहे हैं। अगर आप कोर्ट को धमकाएंगे तो हम आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देंगे। हम बार के सदस्य द्वारा इस तरह का आचरण बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम दो चीजों का आदेश देंगे, एक तो एफआईआर दर्ज करना और दूसरी बात यह कि यह गलत आचरण माना जाएगा। हम बार काउंसिल से आपके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने और आपका रजिस्ट्रेशन निलंबित करने के लिए कहेंगे।
हालांकि, बाद में जस्टिस ओका ने याचिकाकर्ता वकील से कहा कि वे इस मामले को आगे नहीं बढ़ा सकते। उन्होंने सुझाव दिया कि पहले वह याचिकाकर्ता से बात करें और समझाएं कि इस तरह की धमकियों से अदालत नहीं डरती। इसके उलट उनके वकालत करने का रास्ता भी बंद हो सकता है।