यूपी, बिहार में कम लोन बांटने के निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि यूपी और बिहार में कर्ज बांटने की रफ्तार धीमी करनी पड़ेगी, क्योंकि यहां कर्ज का बुलबुला फूटने का डर है। आरबीआई ने यह निर्देश खासकर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को दिए हैं और उन्हें आगाह किया है कि जोखिम का सही से प्रबंधन नहीं किया गया तो आने वाले समय में नुकसान हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि यूपी और बिहार में कर्ज बांटने की रफ्तार धीमी करनी पड़ेगी, क्योंकि यहां कर्ज का बुलबुला फूटने का डर है। आरबीआई ने यह निर्देश खासकर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को दिए हैं और उन्हें आगाह किया है कि जोखिम का सही से प्रबंधन नहीं किया गया तो आने वाले समय में नुकसान हो सकता है। खासकर बिहार में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को कम कर्ज बांटने का निर्देश दिया गया है।
यूपी और बिहार में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा कुल लोन का 25.3 फीसदी कर्ज बांटा गया है। मतलब, दोनों राज्यों में कुल कर्ज का एक चौथाई बांट दिया गया है। खासकर कम आमदनी वाली महिलाओं को बड़ी संख्या में कर्ज बांटे गए हैं। साल 2019 के बाद से यूपी और बिहार में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लोन का दायरा सबसे तेजी से फैला है।
रिजर्व बैंक की ओर से हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कुल लोन में 10.1 फीसदी हिस्सा ऐसे लोगों का है, जिन्होंने 3 जगह से लोन ले रखा है। वहीं, चार या इससे ज्यादा बैंकों से लोन लेने वालों की संख्या 8.7 फीसदी है। यूपी के मामले में यह आंकड़ा क्रमश: 7.7 फीसदी और 6.6 फीसदी है।
साल 2019 के बाद यूपी और बिहार में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले लोन काफी तेजी से बांटा जा रहा है। खास बिहार में, जहां कुछ साल पहले तक सिर्फ 30 माइक्रोफाइनेंस कंपनियां थी और आज इस फील्ड का हर खिलाड़ी इस राज्य पर दांव लगा रहा है।
माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की पिछले दिनों हुई बैठक में जो बातें सामने आईं, उससे डर के कारणों का खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया कि बिहार जैसे राज्य में अच्छे क्रेडिट वाले कर्जदारों की संख्या घट रही है। ऐसे में बिहार सेंसटिविटी के मामले में ग्रीन से रेड जोन की ओर जा रहा है। माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट का 14.8 फीसदी हिस्सा सिर्फ बिहार में है, जो पश्चिमी बंगाल और तमिलनाडु को पीछे छोड़कर सबसे आगे पहुंच गया है। जोखिम वाले लोन बांटना इन कंपनियों के लिए खतरे की घंटी है।
माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के सीईओ व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में कहा गया कि यूपी के मुकाबले बिहार में स्थिति ज्यादा गंभीर है। यूपी बड़ा राज्य है, जहां इन कंपनियों की पहुंच अभी कम है, लेकिन बिहार में काफी ज्यादा पैसा गया है। माइक्रोफाइनेंस कंपनियां ऐसे लोगों को लोन बांटती हैं, जिन्हें जोखिम की वजह से बैंक लोन नहीं देते हैं। ऐसे में अगर लोन का बुलबुला फूटता है तो यह साल 2010 के आंध्र प्रदेश जैसे हालात पैदा कर सकता है।