हर 14 में से एक मरीज का होता गलत इलाज

हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि अस्पतालों में हर 14 में से एक मरीज का इलाज गलत होता है। गलत इलाज की समस्या स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।

हर 14 में से एक मरीज का होता गलत इलाज

हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि अस्पतालों में हर 14 में से एक मरीज का इलाज गलत होता है। इस अध्ययन के अनुसार गलत इलाज की समस्या स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है। इसे सुधारने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में नई तकनीकों और उपायों की आवश्यकता है।

बीएमजे क्वालिटी एंड सेफ्टी नामक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि अधिकांश गलत इलाज- हार्ट फेलियर, एक्यूट किडनी फेलियर, सेप्सिस, निमोनिया, सांस की तकलीफ, मानसिक स्थिति में बदलाव, पेट दर्द और हाइपोक्सिमिया (रक्त में ऑक्सीजन की कमी) जैसी बीमारियों में होते हैं। इन बीमारियों का सही समय पर निदान न होना मरीज की सेहत के लिए खतरे की घंटी हो सकत है।

शोधकर्ताओं ने इलाज की त्रुटियों की उच्च जोखिम वाली श्रेणियों का भी खुलासा किया है। इसके अनुसार ऐसे मामलों में गलत इलाज का का खतरा ज्यादा होता है, जब मरीज को भर्ती होने के 24 घंटे बाद या उससे ज्यादा समय बाद आईसीयू में स्थानांतरित किया जाता है। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने के 90 दिन के भीतर मरीज की मौत या जटिल चिकित्सा समस्याओं का सामना करने वाले मामलों को भी उच्च जोखिम में रखा गया है।

अध्ययन में शामिल 154 मरीजों के 160 मामलों की समीक्षा से पता चला कि इनमें से 54 मामलों में मरीज को 24 घंटे बाद आईसीयू में स्थानांतरित किया गया, 34 मामलों में मरीज की 90 दिन के भीतर मौत हो गई और 52 मामलों में जटिल चिकित्सा समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके अलावा कम जोखिम वाले मरीजों में भी गलत इलाज की संख्या 20 थी। शोध में कहा गया है कि निदान में होने वाली गलतियों को 85 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं में निगरानी के तरीकों को सुधारने की आवश्यकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके इलाज की खामियों को कम किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि एआई टूल्स को चिकित्सा वर्कफ्लो में शामिल करने से इलाज की त्रुटियों को कम किया जा सकता है। इन टूल्स के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मी सही समय पर हस्तक्षेप कर सकते हैं और गलत इलाज को रोक सकते हैं।