मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान डिसएबल कैडेट का होगा पुनर्स्थापन

मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान चोट लग जाने की वजह से मेडिकल आधार पर जो कैडेट्स बाहर हो जाते हैं अब उन्हें भी पुर्नस्थापन की सुविधा दी जाएगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान डिसएबल कैडेट का होगा पुनर्स्थापन

मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान चोट लग जाने की वजह से मेडिकल आधार पर जो कैडेट्स बाहर हो जाते हैं, अब उन्हें भी पुर्नस्थापन की सुविधा दी जाएगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब तक उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जाती थी। देश की रक्षा के लिए जान देने का जज्बा लेकर युवा फौज में ऑफिसर बनने पहुंचते हैं। चार साल की कड़ी मेहनत के बाद वह अकेडमी से निकलकर भारतीय सेना, नेवी या एयरफोर्स का हिस्सा बनते हैं। लेकिन ट्रेनिंग के दौरान अगर उन्हें गंभीर चोट लगी और डिसएबल हो गए तो सेना उन्हें बाहर कर देती है।

इसे लेकर कई सालों से मांग उठ रही थी और सवाल उठ रहे थे कि सरकार कैसे उनसे मुंह मोड़ सकती है। अब इस पर फैसला हो गया है। मेडिकल वजह से बाहर हुए कैडेट्स का पुनर्वास किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि कैडेट सशस्त्र बलों में अधिकारियों के रूप में शामिल होने के इरादे से कम उम्र में मिलिट्री अकेडमी में शामिल होते हैं। यूनिफॉर्म में राष्ट्र की सेवा करने की प्रतिबद्धता दिखाते हैं, लेकिन मेडिकल आधार पर बाहर होना अति दुर्भाग्यपूर्ण होता है।

मौजूदा नियमों के अनुसार कैडेट को कमीशन मिलने के बाद ही अधिकारी माना जाता है। लेकिन यह भी तथ्य है कि मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान हर साल करीब 10-20 कैडेट्स मेडिकल आधार पर अमान्य हो जाते हैं।

ऐसे कैडेटों के लिए अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से रक्षा मंत्री ने पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के एक  प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें पुनर्वास महानिदेशालय द्वारा संचालित योजनाओं के लाभ के विस्तार की अनुमति दी गई है। इससे मेडिकल आधार पर निष्कासित हुए 500 कैडेटों को योजनाओं का लाभ उठाने और उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इस तरह की स्थिति में भविष्य के कैडेटों को भी समान लाभ मिलेंगे।