भोजशाला में हनुमान चालीसा, भजन-कीर्तन

मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला में 2 अप्रैल को हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करने के बाद वहां पहली बार हनुमान चालीसा पढ़ी गई।

भोजशाला में हनुमान चालीसा, भजन-कीर्तन

मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला में 2 अप्रैल को हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करने के बाद वहां पहली बार हनुमान चालीसा पढ़ी गई। एक तरफ श्रद्धालुओं ने भोजशाला परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ किया, दूसरी तरफ महिलाओं ने परिसर के बाहर भजन गाए। महिलाओं ने यहां भजनों पर नृत्य भी किया।

इधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने कहा कि इस मामले में भ्रामक जानकारी दी जा रही है। कोर्ट के आदेश पर सर्वे को गुप्त रखा गया है। ऐसे में जानकारी बाहर कैसे आ रही है। सर्वे की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी।  मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के सर्वे से शुरुआती दो दिनों तक दूरी बनाई थी।

भोजशाला परिसर में आज सुबह से श्रद्धालुओं के आने से सिलसिला शुरू हो गया था। फिर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इस आयोजन को लेकर भोज उत्सव समिति के महामंत्री सुमित चौधरी ने कहा कि धार्मिक आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया। सैकड़ों भक्त यहां पहुंचे और आयोजन में भाग लिया।

भोजशाला में मंगलवार और शुक्रवार का दिन विशेष होता है। चूंकि, इस इमारत पर पर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों अपना दावा करते हैं, इसलिए प्रशासन ने मंगलवार को हनुमान चालीसा और शुक्रवार यानी जुमे को नमाज करने की अनुमति दी है।

हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट चला गया था। मुस्लिम पक्ष एएसआई के सर्वे पर रोक लगाना चाहता है,  लेकिन 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने भोजशाला और कमल मौला मस्जिद में एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को विवादित स्थल भोजशाला और कमल मौला मस्जिदमें सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम निर्देश में कहा है कि सर्वेक्षण के नतीजे के आधार पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवादित स्थलों पर कोई खुदाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे इसका स्वरूप बदल जाए। कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस भेजा है।