केजरीवाल को जमानतः सुप्रीम कोर्ट पहले मन बनाएगा, फिर बताएगा

सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत को लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया। अदालत ने कहा, हम इस पर पहले मन बनाएंगे, फिर बताएंगे।

केजरीवाल को जमानतः सुप्रीम कोर्ट पहले मन बनाएगा, फिर बताएगा

सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली शराब नीति से जुड़े कथित घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई खत्म हो गई है। पर कोर्ट ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत को लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया। अदालत ने कहा, हम इस पर पहले मन बनाएंगे, फिर बताएंगे।

इससे पहले सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि केजरीवाल 'आदतन अपराधी नहीं हैं? इसलिए मौजूदा लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने की अनुमति देने के लिए अस्थायी जमानत के लिए वह दलीलें सुनेगी।

अदालत ने आज यह कहते हुए शुरुआत की कि अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी के 'निर्वाचित मुख्यमंत्री' हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि चुनाव हैं... ये असाधारण परिस्थितियां हैं और वह आदतन अपराधी नहीं हैं। जस्टिस दत्ता ने अपने सहयोगी के यह कहने पर कहा कि यह मालिकाना हक का सवाल है...सार्वजनिक हित का। शीर्ष अदालत ने AAP प्रमुख से कहा कि अगर वह उन्हें अंतरिम जमानत देती है, तो उन्हें अपने सीएम कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दिल्ली में सात लोकसभा सीटों को लिए 25 मई को वोटिंग होनी है। यहां एक ही चरण में वोट डाले जाएंगे।

ईडी ने सीएम की अंतरिम जमानत का विरोध किया। भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि 176 फोन नष्ट कर दिए गए हैं। हवाला ऑपरेटरों को नकदी भेजी गई है। 100 करोड़ रुपये के नकद लेनदेन को हवाला मार्गों से ट्रांसफर किया गया और अन्य राज्यों में खर्च किया गया। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि यदि इस संबंध में इन्हें राहत दी जाती है तो यह मामला मिसाल बनेगा। एक राजनेता होने के कारण इन्हें रिहा करना सही मिसाल नहीं है। इसके बाद अदालत को हर किसी की याचिका पर विचार करना पड़ेगा। भले ही वह किसी भी समूह से क्यों न हो। मेहता ने कहा कि यह याचिका बेहद ही चतुराई से दाखिल की गई है। इसमें गिरफ्तारी को चुनौती देने के साथ ही अंतरिम जमानत की भी मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच में देरी को लेकर ईडी से सवाल पूछा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली शराब नीति से जुड़े मामलों में गवाहों और आरोपियों से प्रासंगिक सवाल क्यों नहीं पूछे गए। अदालत ने जांच में समय लगने को लेकर भी सवाल किया। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी को चीजों को सामने लाने में दो साल का समय लग गया। अदालत ने इस तर्क को स्वीकार किया कि केजरीवाल को इसकी जांच में शामिल होने के लिए कई समन से बचने के बाद गिरफ्तार किया गया था। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी दिल्ली में आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हुई थी।