आई अफीम की नई किस्म..चेतक

आई अफीम की नई किस्म..चेतक

उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के वैज्ञानिकों ने परीक्षण की लंबी प्रक्रिया के बाद अफीम की नई किस्म विकसित की है। जो राजस्थान के साथ ही मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी। अयोध्या में हुए एक आयोजन में इस नई किस्म को चेतकके रूप में पहचान मिली है।

परीक्षणों में सामने आया कि चेतकमें न केवल मॉर्फिन बल्कि डोडा-पोस्त में भी अपेक्षाकृत ज्यादा उत्पादन मिलेगा। एमपीयूएटी के अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविन्द वर्मा ने बताया कि इस किस्म का विकास अखिल भारतीय औषधीय एवं सगंधीय पौध अनुसंधान परियोजना के तहत डॉ. अमित दाधीच की टीम ने किया है। नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या में 7-9 फरवरी को 31वीं वार्षिक समीक्षा बैठक में इस किस्म (चेतक अफीम) की पहचान अफीम की खेती करने वाले राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश के लिए की गई है। डॉ. दाधीच ने बताया कि यदि किसान वैज्ञानिक तकनीक को आधार मानकर चेतक की फसल का उत्पादन करता है तो औसत 58 किलोग्राम अफीम प्रति हैक्टेयर साथ ही औसत मॉर्फिन उपज 6.84 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है। इसमें मॉर्फिन की मात्रा औसतन 11.99 प्रतिशत है।

उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ और प्रतापगढ़ जिलों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है। यहां की अफीम विदेशों में भी भेजी जाती है। चित्तौड़गढ़ जिले को अफीम उत्पादन की श्रेणी में अव्वल माना जाता है। अफीम की एक हेक्टेयर में पैदावार करीब 50 से 60 किलो तक होती है। सरकार इसे 1800 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदती है। राजस्थान के चित्तौडगढ़, प्रतापगढ़ के अलावा उदयपुर, भीलवाड़ा, कोटा, बारां एवं झालावाड़ जिलों में भी अफीम की खेती बहुतायत में की जाती है। भारत सरकार के केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की ओर से जारी लाइसेंस के आधार पर इसकी खेती की जाती है।