रणथंभौर से निकलकर कोटा पहुंचा बाघ टी-2512
रणथंभौर में सुल्ताना बाघिन टी-107 का शावक बाघ टी-2512 वहां से निकलकर कोटा क्षेत्र में खातोली रेंज के बालूपा गांव के नजदीक जा पहुंचा।

रणथंभौर में सुल्ताना बाघिन टी-107 का शावक बाघ टी-2512 वहां से निकलकर कोटा क्षेत्र में खातोली रेंज के बालूपा गांव के नजदीक जा पहुंचा। वहां बाघ का मूवमेंट देखकर उसकी मॉनिटरिंग के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शिखा मेहरा ने छह सदस्यीय टीम का गठन किया है। यह टीम लगातार बाघ की निगरानी कर रही है।
इस टीम के अलावा मुकुंदरा टाईगर रिजर्व की टीम भी बाघ की तलाश में जुटी हुई है। वन विभाग की टीम खातोली रेंज की पार्वती नदी के आसपास बाघ के पगमार्क तलाश करने में जुटी है।
रणथंभौर प्रदेश का सबसे बड़ा टाईगर रिजर्व होने के साथ ही टाईगर नर्सरी भी कहा जाता है। रणथंभौर की बदौलत प्रदेश के अन्य टाईगर रिजर्व बाघों से आबाद हैं। रणथंभौर में लगातार बढ़ती बाघों की संख्या यहाँ के बाघों के लिए मुसीबत भी बनती जा रही है। वर्तमान में रणथंभौर में करीब 78 बाघ, बाघिन एवं शावक हैं, जबकि टाइगर रिजर्व की क्षमता 50 से 55 बाघों की है। ऐसे में बाघों के लिए टेरेटरी कम पड़ने लगी है।
नतीजतन, नई टेरेटरी की तलाश में युवा बाघ रणथंभौर से निकलकर दूसरे इलाकों में पहुंचने लगे हैं। टी 2512 टेरेटरी की तलाश में जुटी टीम के सदस्य धर्मेंद्र खांडल का कहना है कि रणथंभौर में बढ़ती बाघों की संख्या के चलते कई मर्तबा युवा बाघ टेरेटरी की तलाश में रणथंभौर की परिधि से बाहर निकल जाते हैं। यही वजह है कि इस बार युवा बाघ टी 2512 रणथंभौर से निकलकर कोटा क्षेत्र में पहुंच गया। खांडल के अनुसार जिस रास्ते से युवा बाघ टी 2512 निकला है, यह बाघों के लिए एक कॉरिडोर के रूप में विकसित हो रहा है।