चुनावी ड्यूटी से बचने को बीमारी के सैकड़ों आवेदन

चुनावी ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारियों ने अपने तबीयत बिगड़ने का हवाला देना भी शुरू कर दिया है। रांची में तबीयत बिगड़ने का हवाला देने वाले करीबन 500 कर्मचारियों ने आवेदन जिला निर्वाचन अधिकारी को दिया है।

चुनावी ड्यूटी से बचने को बीमारी के सैकड़ों आवेदन

देश में आम चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इसी के साथ जहां लोगों के चेहरे पर खुशी है तो  सरकारी कर्मचारियों के चेहरे पर मायूसी देखी जा रही है। ये मायूसी इस वजह से क्योंकि उन्हें चुनाव में ड्यूटी करनी पड़ेगी और इस ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारियों ने अपने तबीयत बिगड़ने का हवाला देना भी शुरू कर दिया है। झारखंड की बात करें तो अकेले रांची में तबीयत बिगड़ने का हवाला देने वाले करीबन 500 कर्मचारियों ने आवेदन जिला निर्वाचन अधिकारी को दिया है।

इस आवेदनों की जांच के लिए जिला उपायुक्त ने जिला सिविल सर्जन को स्पेशल टीम बनाकर जांच करने के आदेश दिए हैं। रांची सिविल सर्जन ने 21 मार्च को ही मेडिकल टीम का गठन कर दिया था। टीम के गठन के बाद करीबन 500 आवेदन पहले 7 दिन में आ चुके थे, जिसमें से कुछ आवेदन गंभीर बीमारी के हैं तो कुछ लोग बीपी और शुगर की बीमारी बताकर ही चुनाव ड्यूटी से छुट्टी लेना चाहते हैं। रांची के सिविल सर्जन प्रभात कुमार बताते हैं कि जितने भी आवेदन आए हैं, सभी की जांच मेडिकल बोर्ड टीम कर रही है।

मेडिकल बोर्ड में सभी तरह के डॉक्टर शामिल हैं। ये बोर्ड खास तौर पर इस वजह से बनाए गए हैं, ताकि गंभीर बीमारी वाले मरीजों को चुनावी ड्यूटी न करनी पड़े। कई ऐसे कर्मचारी भी हैं जो डायलसिस की परेशानी से जूझ रहे हैं। उन्हें हर हफ्ते में डायलिसिस करानी पड़ती है। ऐसे मरीज को चुनाव ड्यूटी करने में परेशानी होगी तो ऐसे मरीज मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी जांच करा सकते है।

नवाडीह से छुट्टी के लिए पहुंचे सरकारी स्कूल के लिपिक बताते हैं कि कई कर्मचारी ऐसे भी हैं जो चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए बीमारी का बहाना बनाते हैं। वह कहते हैं कि अगर सभी कर्मचारी सच लिख कर देते तो शायद इस जांच की प्रक्रिया को खत्म कर दिया जाता, लेकिन सभी को पता है कि कुछ ऐसे कर्मचारी हैं जो बीमारी का बहाना बनाकर छुट्टी लेना चाहते हैं। इस वजह से यह जांच की प्रक्रिया रखी गई है।