सुप्रीम कोर्ट में कन्हैयालाल हत्याकांड का जिक्र

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राजस्थान के उदयपुर में 2022 में हुए दर्जी कन्हैया लाल की हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि आप लोगों को इस तरह के मामले में सेलेक्टिव नहीं होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में कन्हैयालाल हत्याकांड का जिक्र

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अल्पसंख्यकों के ऊपर देशभर में होने वाले हिंसा के मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राजस्थान के उदयपुर में 2022 में हुए दर्जी कन्हैया लाल की हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि आप लोगों को इस तरह के मामले में सेलेक्टिव नहीं होना चाहिए न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कन्हैया लाल हत्याकांड का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की 

अदालत ने पूछा कि राजस्थान के उस दर्जी...कन्हैया लाल...के बारे में क्या, जिसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी? स पर याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील निज़ाम पाशा ने स्वीकार किया कि याचिका में इसका उल्लेख नहीं किया गया है। अदालत ने जवाब दिया, जब सभी राज्य मौजूद हों तो आप सेलेक्टिव नहीं हो सकते 

गुजरात राज्य के वकील ने कहा कि जनहित याचिका विशेष रूप से केवल मुसलमानों की लिंचिंग को उजागर कर रही है वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक दवे ने कहा, यह सिर्फ मुसलमानों की भीड़ द्वारा हत्या पर केंद्रित है उन्होंने कहा, यह सेलेक्टिव कैसे हो सकत है? राज्य को सभी समुदायों के लोगों की रक्षा करनी हैअदालत ने कहा, हां... आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि यह बिल्कुल भी सेलेक्टिव न हो, अगर सभी राज्य इसमें शामिल हैं

पिछले साल जुलाई में अदालत ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की महिला शाखा द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र और छह राज्यों - महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश - से जवाब मांगा था जनहित याचिका में दावा किया गया था कि 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इन राज्यों द्वारा कार्रवाई की कमी हुई है, जिसमें गोरक्षकों द्वारा हत्या सहित घृणा अपराधों पर सख्त रुख अपनाने का निर्देश देने की मांग की गईी। 

आज की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि अब तक केवल हरियाणा और मध्य प्रदेश ने ही कार्रवाई के संबंध में जवाब दाखिल किया है इसके बाद अदालत ने अन्य राज्यों को अपने बयान दर्ज करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया