प्रोपेगेंडा फिल्म मेकर्स कला के मामले में कंगाल

प्रोपेगेंडा फिल्म मेकर्स कला के मामले में कंगाल

'गैंग्‍स ऑफ वासेपुर' फेम एक्‍टर-डायरेक्‍टर तिग्‍मांशु धूलिया ने प्रोपेगेंडा फिल्‍म बनाने वालों को बुरी तरह लताड़ा है। उन्होंने एक इंटरव्‍यू में कहा कि ये सारी 'बेकार' फिल्‍में हैं और इनके बारे में बात करना भी सही नहीं है। उन्‍होंने इन फिल्‍मों को बनाने वाले मेकर्स-डायरेक्‍टर्स को 'कला के मामले में कंगाल' तक बता दिया है।

गौर करें कि पछले कुछ साल में देश में राजनीति या राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित फिल्‍मों का चलन बढ़ा है। 'द कश्‍मीर फाइल्‍स', 'द करेल स्‍टोरी' इसके उदाहरण हैं हालिया रिलीज 'आर्टिकल 370' के साथ आगे आ रही 'बस्‍तर' और 'द साबरमती स्‍टोरी' की भी इस फेहरिस्‍त में गिनती हो रही है। एक्‍टर और फिल्‍ममेकर तिग्‍मांशु धूलिया ने ऐसी फिल्‍मों और इसे बनाने वाले फिल्‍ममेकर्स की कड़ी आलोचना की है।

एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्‍यू में तिग्मांशु ने 'द कश्मीर फाइल्स' की शैली में बनी और बन रही फिल्मों के बारे में बात की। उन्‍होंने किसी डायरेक्‍टर का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके बारे में बात करना भी उन्‍हें 'बहुत घटिया' लगता है। राज्य योजनाओं का समर्थन करने वाली फिल्मों के बारे में पूछा तो तिग्मांशु ने कहा, उस तरह की फिल्में? वो तो बेकार पिक्चर होती हैं, कौन देखता है उनको, चलती भी नहीं हैं। सिर्फ वही चली थी, क्या नाम था उसका, कश्मीर फाइल्स मैं इनकी बात ही नहीं करता, बेकार पिक्चरें हैं सब।

तिग्‍मांशु धूलिया ने कहा कि भारत में राजनीति से प्रेरित फिल्में बनाने वाले कई डायरेक्‍टर्स हैं, जो असल में अपनी फिल्मों में कही गई बातों पर विश्वास तो कर सकते हैं, लेकिन उनमें कलात्मक कौशल यानी आर्टिस्‍ट वाली बात नहीं है। उन्होंने आगे कहा, हमने इन डायरेक्‍टर्स को अपनी फिल्‍मों में अपनी राजनीतिक विचारधारा को प्रोपेगेंडा की तरह इस्‍तेमाल करते हुए देखा है। भारत में, जिस तरह की राजनीति को हम अपने आसपास देखते हैं, उसे बढ़ावा देने के लिए जिस तरह की फिल्में बनाई जा रही हैं, वो भयानक हैं। बेकार हैं। विचारधारा को अलग भी कर दीजिए तो सबसे पहले तो ये फिल्‍में बहुत बुरी तरह से बनाई गई हैं।

धूलिया ने नाजी विचारधारा की प्रोपेगेंडा फिल्‍म 'ट्रायम्‍फ ऑफ द विल' का भी जिक्र किया। ये भी एक प्रोपेगेंडा फिल्‍म है, लेकिन इसके बावजूद इसमें एक आर्ट है। यह कला के तौर पर सीमाओं को आगे बढ़ाती हैं और इसलिए आज भी प्रभावित करती हैं। मगर भारत में बन रही प्रोपेगेंडा फिल्में उतनी अच्छी तरह से नहीं बनाई जाती हैं, क्योंकि वे गलत इरादों से बनाई गई हैं। पैसा कमाना है यार।

उल्लेखनीय है कि विवेक अग्निहोत्री के डायरेक्‍शन में बनी 'द कश्मीर फाइल्स' ने देश में 252.25 करोड़ रुपये का नेट कलेक्‍शन और वर्ल्‍डवाइड 341 करोड़ रुपये का ग्रॉस कारोबार किया था। हालांकि, फिल्‍म में दिखाए गए झूठे तथ्‍यों और भड़काने वाले अंदाज पर खूब विवाद भी हुआ था। इसी तरह सुदीप्‍तो सेन के डायरेक्‍शन में बनी 'द केरल स्‍टोरी' को गलत आंकड़े दिखाए जाने के कारण कोर्ट की फटकार भी लगी थी। इस फिल्‍म ने भी देश में 241.74 करोड़ रुपये का नेट कलेक्‍शन और वर्ल्‍डवाइड 302 करोड़ रुपये का ग्रॉस कलेक्‍शन किया था।