पैसे से नहीं खरीदी जा सकती खुशी--शोध

पैसे से नहीं खरीदी जा सकती खुशी--शोध

पैसा सबसे ताकतवर होने के बावजूद किसी के लिए खुशी नहीं खरीद सकता। शोधकर्ताओं डैनियल काहनेमन और मैथ्यू किलिंग्सवर्थ द्वारा हाल ही में किए गए एक संयुक्त अध्ययन में यह सच्चाई सामने आई है। इस स्टडी ने आम धारणा को चुनौती दी है कि आय की एक निश्चित सीमा तक पहुंचने के बाद खुशियां ही खुशियां होती है। दोनों शोधकर्ताओं ने एक स्मार्टफोन ऐप का उपयोग करते हुए 33,000 से अधिक प्रतिभागियों का डेटा एकत्र किया, जो दर्शाता है कि बढ़ती आय के साथ खुशी में वृद्धि होती है। अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला गया कि कम आय वाले व्यक्ति उच्च आय वालों की तुलना में बढ़ी हुई आय से खुशी में अधिक लाभ का अनुभव करते हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक धन वाले व्यक्तियों में अधिक सकारात्मक आत्म-धारणा होती है। भावनात्मक कल्याण भी आय के साथ बढ़ता है, लेकिन केवल 75,000 डॉलर के वार्षिक वेतन तक (आज के लिए समायोजित 90,000 डॉलर, जो लगभग 74 लाख रुपये है) इस बिंदु के अलावा, उच्च वेतन खुशी सूचकांक में महत्वपूर्ण रूप से योगदान नहीं करते हैं। यह निश्कर्ष पैसे और कल्याण के बीच संबंधों की सीमा का संकेत देता है।

इसी प्रकार हार्वर्ड स्टडी ऑफ एडल्ट डेवलपमेंट द्वारा जोर दिया गया है कि खुशी प्राप्त करने में संबंधों की भूमिका महत्वपूर्ण है। अच्छे जीवन के लिए संबंधों को आवश्यक माना जाता है धन केवल एक सीमा तक ही खुशियां दे पात है। हालांकि कुछ व्यक्ति अपने सामाजिक संबंधों और खुशी को बढ़ाने के लिए महंगी ट्रिप, म्यूजिक नाइट गेदरिंग जैसी एक्टिविटीज को भी प्राथमिकता देते हैं। मगर पर्याप्त आय अर्जित करने से खुशी की गारंटी नहीं मिलती है।