लालू प्रसाद का भूतों से सामना, बाबा ने बचाया

लालू प्रसाद का भूतों से सामना, बाबा ने बचाया

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बचपन में भूत का सामना कर चुके हैं उन्होंने अपनी आत्मकथा गोपालगंज से रायसीना: मेरी राजनीतिक यात्रामें उस घटना का जिक्र किया है, जब अंधेरी रात में उन्हें दो भूत श्मशान घाट लेकर जा रहे थे, तभी गांव के बरम बाबा ने उनकी जान बचाई थी लालू यादव अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, एक बार मेरा भी भूतों से सामना हो गया मेरे घर के पीछे पीपल के पेड़ के नीचे बरम बाबा का ठिकाना था एक बार पूर्णिमा की चांदनी रात में बरम बाबा के स्थान पर रात्रिभोज हुआ था और उसके बाद सोरठी-बिरजाभार गायन का कार्यक्रम हुआ

लालू यादव आगे कहते हैं कि कार्यक्रम के दौरान वह गेहूं के पुआल पर बैठे थे और अचानक उन्हें नींद आ गई कार्यक्रम के बाद सभी अपने-अपने घर चले गए, मगर नींद में सोए लालू यादव को पता ही नहीं चला जब उनकी नींद खुली तो उनके सामने दो लड़के खड़े थे. उन दोनों लड़कों ने उन्हें जगाया और अपने साथ चलने को कहा क्योंकि वह नींद में थे, इसलिए उन्हें कुछ समझ नहीं आया और लालू यादव उन दोनों लड़कों के साथ चलते रहे लालू यादव अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, दोनों लड़के गांव के बाहर श्मशान घाट की ओर बढ़ रहे थे और मैं उनके पीछे-पीछे चल रहा था कुछ दूर बाद मैं लघुशंका के लिए खेत में बैठ गया इस दौरान वे दोनों मेरे पास खड़े रहे

राजद सुप्रीमो उस घटना का वर्णन करते हुए कहते हैं, मैं पेशाब कर ही रहा था, तभी खैनी मलते हुए पास से गुजर रहे गांव के तपेसर बाबा ने पूछा-कौन है रे मैंने जवाब दिया- हम हैं ललुआ इसके बाद तपेसर बाबा ने कहा, तुम कहां जा रहे हो, उठो और घर जाओ जैसे ही तपेसर बाबा ने यह कहा, दोनों लड़के भाग खड़े हुए इसके बाद मैं घर लौट आया. अगले दिन जब मैं सुबह दोनों लड़कों के पास गया तो उन्होंने दावा किया के वे दोनों वहां गए ही नहीं थे इसके बाद मैं भौंचक्का रह गया और तुरंत तपेसर बाबा के घर गया उन्होंने भी कहा कि वह वहां नहीं गए थे वह तो अपने घर में सो रहे थे

लालू यादव ने अपनी किताब में दावा किया है कि उन्होंने इस घटना का जिक्र अपनी मां से किया था लालू यादव ने किताब में आगे लिखा, दोनों लड़कों और तपेसर बाबा की बात सुन मेरा दिमाग चकरा गया मैंने अपनी मां से सारी बात बताई मेरी मां बोलीं- जो लोग तुम्हारे दोस्त होने का स्वांग भरकर आए थे, वे भूत थे बरम बाबा ने तपेसर बाबा का रूप धारण कर तुमको बचाया मेरे बेटे, बरम बाबा ने तुम्हें भूतों से बचाया, वरना वे तुमको श्मशान घाट ले जाकर मार भी सकते थे उन्होंने मुझे बरम बाबा की प्रार्थना करने की सलाह दी तब से मैं जब भी गांव जाता हूं, बरम बाबा के सामने सिर झुकाए आगे नहीं बढ़ता हूं लालू यादव की आत्मकथा गोपालगंज से रायसीनामें उनके बचपन से लेकर उनकी राजनीतिक यात्रा का पूरा वर्णन है, जिसे नलिन वर्मा ने लिखा है