अजमेर का सेवन वंडर्स पार्क तोड़ने पर रोक नहीं

अजमेर का सेवन वंडर्स पार्क तोड़ने पर रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने अजमेर की आनासागर झील के किनारे बने सेवन वंडर पार्क और अन्य निर्माणों को ध्वस्त करने के राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति अभय ओखा और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी।
सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने तर्क दिया कि अजमेर स्मार्ट सिटी द्वारा निर्माण उस समय किए गए थे, जब आनासागर झील पूरी तरह सूखी हुई थी। झील के सूखे क्षेत्र में अतिक्रमण को रोकने के उद्देश्य से जनहित में पाथ-वे का निर्माण किया गया था। अन्य निर्माण भी अजमेर स्मार्ट सिटी द्वारा जनहित में ही किए गए थे।

अधिवक्ता ने राजस्थान उद्यान अधिनियम 1956 का हवाला देते हुए कहाकि इस अधिनियम के तहत पार्कों में निर्माण किया जा सकता है। लेकिन, अदालत ने स्पष्ट किया कि पार्क शहर का एक महत्वपूर्ण अंग हैं और उन्हें शहर के फेफड़े की तरह माना जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि राजस्थान उद्यान अधिनियम 1956 प्राणियों के लिए चिड़ियाघरों की स्थापना और रखरखाव के लिए है, न कि पार्कों में निर्माण के लिए। झील के बारे में जजों ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि आनासागर झील की आर्द्रभूमि पर सेवन वंडर पार्क बनाने की क्या आवश्यकता थी।

उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार निर्माण आर्द्रभूमि क्षेत्र पर किया गया था। हम राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए, कोई रोक नहीं दी जाएगी और अधिकारियों को निर्माण को ध्वस्त करने की छूट है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ओए नंबर 21/2023 और 20/2023 में दिए गए आदेश वर्तमान में लागू हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट और याचिकाकर्ता अशोक मलिक के अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि आनासागर झील कभी सूख नहीं होती। सभी निर्माण पूरी तरह से अवैध हैं और उन्हें ध्वस्त किया जाना चाहिए। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल 2024 को निर्धारित की है।